कुल पाठक

Saturday, June 6, 2015

प्रभु इच्छा !

घोर कलयुग है! सुबह सवेरे खबर मिली कि तेलंगाना में पुजारियों ने भगवान को किडनैप कर लिया है। धमकी दी है सो अलग, कि जब तक सरकार वेतन नहीं बढ़ाती भगवान ऐसे ही उनके कब्जे में रहेंगे। ना धूपबत्ती ना आरती, दर्शन करने की तो सोचना भी मत। अगर अभी कोई फरियाद है भी तो उसे पोस्टपोन कर दीजिए, क्योंकि भगवान ताले में बंद हैं और आपकी आवाज़ उन तक पहुंच ही नहीं रही।

ठीक उसी कॉलम के नीचे दूसरी खबर थी कि भगवान के हाईजैक होने से मोदी सबसे ज्यादा खुश हैं। अचानक उन्हें लगने लगा कि भक्तों की संख्या बढ़ाने का यही सही समय है। ऊपर वाले के तमाम फॉलोवर अब उनकी तरफ डाइवर्ट हो सकते हैं। भाई, दुनिया में सबसे ज्यादा मेंबर जब भारतीय जनता पार्टी के हैं तो सबसे अधिक भक्त भी तो मोदी के ही होने चाहिए ना। इस मामले में भगवान भला बाज़ी क्यों मार ले जाएं।

हां, अमित शाह की परेशानी ज़रूर बढ़ गई है। दरअसल मोदी हैं सेल्फी दीवाने। जहां गए झट सेल्फी खींची और फट अपलोड कर दी। अब भइया इंडियन भगवान सेल्फी तो लेते नहीं। वहां तो 8 भुजाओं के साथ, सावधान की मुद्रा खड़े होकर, मंद मंद मुस्कुराना होगा। किसी भी ऐरे-गैरे के साथ, 56 इंच का सीना दिखाते हुए, ऊबड़-खाबड़ सी सेल्फी डालेंगे तो भक्त थोड़े ही फॉलो करेंगे।

उधर केजरीवाल ने इस बात को चैलेंज की तरह लिया है।  उनका मानना है कि जब जनता के संकट मोचन वो हैं तो पूजा मोदी की क्यों हो? आखिर  बिजली पानी का रेट उन्होंने ही हाफ किया। था कोई भगवान जो इस काम को कर देता?  इशारों इशारों में ये भी समझा दिया है कि तमाम नास्तिक प्रशांत भूषण बनने को तैयार रहें।

वहीं मांझी का रो-रो कर बुरा हाल है। कह रहे हैं कि अब आम और लीची दिलाएगा कौन? वो तो सिर्फ फल मांग रहे थे लालू और राबड़ी तो पूरे के पूरे पेड़ पर हक जताने चले आए। कहीं मंदिर के कपाट खुलते-खुलते आम का सीज़न ही ना निकल जाए।

इन सबके बीच राहुल बाबा ज़रूर खुश हैं। कम से कम कुछ दिन लोग ये तो नहीं कहेंगे कि 'भगवान इस पप्पू को बुद्धि दे' और फिर किसे पता जनता ऐसे ही एक्सेप्ट कर लें।

मुश्किल में कोई है तो वो है मैगी, जो ये मान चुकी थी कि अब भगवान का ही सहारा है। FSSAI ने तो ये कहते हुए कोमा में भेज दिया कि अब ऊपर वाला ही कोई चमत्कार दिखा सकता है और देखो, ऐन वक्त पर उसने भी धोखा दे दिया।

समझ नहीं आई तो बस एक बात कि दुनिया सैलरी इंक्रिमेंट के लिए भगवान के पास जाती है 'हे प्रभु इस बार सैलरी बढ़ा देना'........'2-5 परसेंट से काम नहीं चलेगा, कम से कम 10 परसेंट तो बढ़ाना ही'..... 'महंगाई तो देखो कम से कम'.......'काम हुआ तो देशी घी के लड्डू चढ़ाउंगा, पक्का'

अब हम तो ठहरे बाहर वाले। भगवान का मन किया फरियाद सुन ली, नहीं मन किया टाल दी। पर पुजारी तो भगवान के खासमखास हैं। तगड़ी वाली सेटिंग है उनकी भगवान से। आखिर सुबह शाम अंदर बैठे बैठे भगवान से बतियाते जो रहते हैं। कभी-कभी तो ऊपर वाले का मैसेज भी नीचे वालों तक ट्रांन्सफर कर देते हैं। ऐसा तो नहीं कि दोनों का ब्रेक-अप हो गया हो? मेरा मतलब कुट्टी !!!!  कॉल ड्रॉप की दिक्कत भी हो सकती है। पंडित बेचारे हैलो-हैलो ही करते रह गए हों और बैलेंस हो गया झम्म्म्म्म। या फिर सेवा ठीक से नहीं की होगी तो भगवान जान बूझ के बदला ले रहे हैं कि जा बच्चू, अब बढ़वा ले अपनी तनख्वाह।

5 comments :

  1. अच्छा लिखा है। keep it up.

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  2. अच्छा लिखा है। keep it up.

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  3. दिल से Delhiiet/ख़ून से बनारसी/पेशे से पत्रकार/विचारों से भारतीय/ घोर नारीवादी हूं...बस, यूं ही

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